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रिलायंस फ्यूचर ग्रुप डील

भारत के रिटेल किंग किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप का रिलायंस के साथ विलय कि खबर कुछ दिनों से सुर्खियों में थी जो कि अब चर्म स्थिति में पहुंच गई है। इस डील के बाद रिलायंस (RIL) फ्यूचर ग्रुप के फ्यूचर रिटेल, फ्यूचर लाइफ़स्टाइल फैशन, फ्यूचर सप्लाई चैन सॉल्यूशंस विलय हो जाएगा। फ्यूचर ग्रुप जिसके मार्केट में शेयर दिन-ब-दिन  अपर सर्किट सर्किट को छू रहे थे। पिछले तीन-चार साल के अंदर फ्यूचर ग्रुप ने एक के बाद एक कई नामी-गिरामी दूसरे रिटेलर को खरीदा, जिनमें वॉलमार्ट, हाइपर सिटी जैसे नाम प्रमुख है। Reliance के वार्षिक मीटिंग AGM (Annual General Meeting) जो कि 15 जुलाई को संपन्न हुई, इसमें भी इस डील के बारे में पुष्टि की गई। आइए जानने की कोशिश करते हैं आखिर इस डील की जरूरत फ्यूचर ग्रुप को क्यों पड़ गई और इस डील के बाद भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?

पतलून (Trouser) बनाने से शुरू किया था व्यापार!

फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी को यह कंपनी विरासत में नहीं मिली थी बल्कि यह पूरा एंपायर उन्होंने अपने बलबूते पर खड़ा किया है। उनका जन्म एक मध्यम परिवार में हुआ था 1991 में उन्होंने पहला गोवा में एक पतलून बनाने का काम शुरू किया था और 1 साल बाद ही 1992 में यह एक ब्रांड बन चुका था। और अब यह पतलून से पैंटालून बन चुका था। 2001 में इन्होंने बिग बाजार की शुरुआत की और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, बिग बाजार के बाद फूड बाजार, FBB, होमटाउन, सेंट्रल, ईजोन जैसे ना जाने कितने ब्रांड जोड़ते चले गए। उनका लोगो एक पंछी 🕊️का निशान है। जो की उनकी सोच थी कि भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाना।

इस विलय के प्रमुख कारण।

साल के शुरुआत में अगर शेयर बाजार पर नजर डालें तो फ्यूचर ग्रुप के अधिकतर शेयर मार्केट में अपर सर्किट तक पहुंचे गए थे। परंतु कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन में फ्यूचर ग्रुप का अधिकतर व्यापार ठप रहा। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि Future corporate resources private limited अपना बकाया कर्ज चुकाने में भी विफल हो गई। इसके बाद IDBI trusteeship service ने भी अपनी रखी गिरवी शेयर फ्यूचर ग्रुप से वापस ले लिया। और जो स्टॉक मार्केट में साल की शुरुआत में अपर सर्किट को छू रहे थे, वही शेयर मार्च-अप्रैल में लगातार गिरावट आने लगी। इस कर्ज से मुक्ति के लिए फ्यूचर ग्रुप ने future retail limited को बेचने का निर्णय करना पड़ा। हालांकि सूत्रों के मुताबिक फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस के अलावा और भी कई कंपनियों से बात चल रही थी। पर आखिरकार यह डील रिलायंस के साथ ही संपन्न होती देखी जा रही है।

क्या होगा इस डील के बाद असर।

इस डील के बाद फ्यूचर ग्रुप के प्रवर्तक किशोर बियानी बैंकों का कर्ज उतारने में कामयाब हो जाएंगे। और उनके लिए भी यह एक राहत की बात होगी। वहीं दूसरी तरफ फ्यूचर ग्रुप को सबसे ज्यादा कमाई देने वाला बिग बाजार उनके हाथ से निकल जाएगा। फिलहाल कंपनी के पास इस गंभीर समस्या से निपटने का कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा है।

क्या असर पड़ सकता है भारत की अर्थव्यवस्था पर

इस दिल पर अधिकतर उद्योगपतियों की नजर है क्योंकि कहीं ना कहीं इस डील का असर भारत के अब जगत पर भी देखा जा सकता है। रिलायंस जो कि कुछ ही सालों में एक के बाद एक सफलता के चरम पर है। 15 जुलाई को हुए रिलायंस की एनुअल जनरल मीटिंग मैं अब जल्द ही भारत में 5G लॉन्च करने की तैयारी में है। और जल्द ही टीचरों को विलेज करने के लिए भी घोषणा करने वाली है। जानकारों की माने तो इस डील के बाद रिलायंस अपना भारत में एक तरफा वर्चस्व कायम करने में सफल रहेगी। और साथ ही फ्यूचर ग्रुप को अपने कर्जे से उबार सकती है।

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