के के मोहम्मद का राम मंदिर में महत्वपूर्ण योगदान - News TV India
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के के मोहम्मद का राम मंदिर में महत्वपूर्ण योगदान





 आज जब अयोध्या पर फैसला आ गया है और चारों तरफ ख़ुशी का माहौल है ऐसे में के के मोहम्मद को शायद जनता भूल चुकी है। परन्तु इनके कर्तव्य निष्ठा का इतिहास हमेसा गवाह रहेगा। क्योकि इन्होने सत्य के लिए बिना किसी से डरे अपनी बात रखी। हलाकि इनके आवाज को दबाने की लाख कोशिस की गइ। पर कहते है ना सत्य की हमेशा जित होती है तो आखिरकार सत्य की ही विजय हुइ और सर्वोच्च न्यायलय के द्वारा फैसला राम मंदिर के पक्ष में ही आया। जो इनको नहीं जानता वो लोग सोच रहे होंगे की आखिर कोन है के के मोहम्मद और राम मंदिर से इनका क्या संबंध है। तो आपको बता दें राम मंदिर में इनका स्थान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की राम मंदिर के केस लड़ रहे के. पाराशरण। 
 कौन है के. के. मोहम्मद 

के. के. मोहम्मद - एक सत्यनिष्ठ अधिकारी तथा पूर्व ASI निदेशक, जिन्होनें वर्ष 1976 - 77 मे प्रख्यात पुरातत्वविद बी. बी. लाल के नेतृत्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (A.S.I.) में उच्च पद पर रहते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशानुसार रामजन्मभूमि परिसर में खुदाई तथा  का कार्य किया था और प्रमाण के साथ स्पष्टता से यह कहा था।  कि यहाँ भव्य राममंदिर ही था जिसके ऊपर बाबरी मस्जिद बना दी गई थी। इस संबंध में उन्होनें अनेक ऐतिहासिक पुस्तकों का उदाहरण भी दिया जो अकबर काल के अबू फज़ल से लेकर जहाँगीर काल में आये विलियम फीन्स तथा उसके उपरांत 1766 में आए पादरी टेलर... ब्रिटिश यात्रियों का भी उल्लेख किया जिन्होनें लिखा था कि यह हिंदुओं की सबसे पवित्र नगरी थी।

उन्होनें यह भी कहा कि यहाँ प्रो० मोहम्मद, उनके 4 खलीफा, मोइनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औला..... इत्यादि।  किसी का भी यहाँ से और स्पष्ट शब्दों में इस्लाम का यहाँ से कोई भी सबंध नहीं रहा। यह नगरी तथा कृष्ण जन्मभूमि दोनों ही समान रूप से हिंदुओं के उसी प्रकार से पवित्र तीर्थस्थल हैं, जैसे कि मक्का मुस्लिमों के लिए और वेटिकन ईसाइयों के लिए है। इसके लिए तत्कालीन सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था।
इसके लिए उन्हें अनेक विशेष समूहों से धमकियाँ भी मिली थीं। उन्होनें सारे विवाद की जड़ वामपन्थी इतिहासकारों #AMU के इरफान हबीब, #JNU की रोमिला थापर तथा #DU के आर एस शर्मा को दोषी ठहराया जो जानबूझकर तथा षड्यंत्र के अंतर्गत इसके विरुद्ध बोल रहे थे।
श्री मोहम्मद ने यह भी स्पष्ट किया कि अयोध्या में मानवीय कार्य कलापों के साक्ष्य 1200 - 1300 B.C. तक के मिले हैं और यदि आसपास और भी गहराई से सर्वेक्षण किया जाय तो इतिहास और पीछे भी चला जाएगा।
श्री के. के. मोहम्मद को इनकी सत्यनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता तथा निडर छवि के लिए सदैव स्मरण किया जाता रहेगा और श्रीराम जन्मभूमि केस में विजय प्राप्त करने के लिए इनके कार्य को न केवल सदैव स्मरण किया जाता रहेगा बल्कि इतिहास में अमरत्व प्राप्त करेगा।

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