वुमन डे पर नोएडा सेक्टटर 168 पारस सीजन में भव्य मेले का आयोजन
वुमन डे पर नोएडा सेक्टटर 168 पारस सीजन में भव्य मेले का आयोजन
वुमन डे पर नोएडा सेक्टटर 168 पारस सीजन में भव्य मेले का आयोजन
जयपुर पहुंचते ही सचिन पायलट बोले- किसका इस्तेमाल कहां करना है, कमेटी तय करेगी।
जयपुर पहुंचते ही सचिन पायलट बोले- किसका इस्तेमाल कहां करना है, कमेटी तय करेगी।
Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot : राजस्थान (Rajasthan) में अशोक गहलोत-सचिन पायलट गुट में चल रहा विवाद (Controversy) अभी थमा नहीं है. सचिन पायलट की ओर से हाल ही में दिये गये एक बयान के बाद में प्रदेश का सियासी पारा एक बार फिर से गरमा गया है।
जयपुर सियासी संकट (Political Crisis) निपटने के बाद एक बार फिर से पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बयान से प्रदेश का सियासी पारा गरमा गया है। बुधवार को पायलट के दिल्ली से जयपुर पहुंचते ही अशोक गहलोत गुट (Ashok Gehlot Camp) की धड़कनें बढ़ गईं। पायलट ने कहा कि किसका कहां इस्तेमाल करना है, यह पार्टी की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी तय करेगी। उन्होंने कहा कि कौन सरकार में रहेगा और कौन संगठन में इस पर अंतिम फैसला पार्टी ही करेगी।
पायलट से जब पूछा गया कि मंत्रिमंडल और संगठन से हटाए गए उनके समर्थकों का क्या होगा? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि इस पर भी फैसला कमेटी करेगी। कमेटी के सामने सभी मुद्दे रखे जाएंगे। पायलट ने संकेत दिया कि राजस्थान के सत्ता-संगठन से जु़ड़े बड़े राजनीतिक फैसले अब कमेटी करेगी। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गहलोत-पायलट विवाद सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में कांग्रेस नेता अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के नवनियुक्त प्रभारी अजय माकन शामिल
कमेटी अगले सप्ताह राजस्थान का दौरा कर सकती है
तीन सदस्यीय कमेटी अगले सप्ताह राजस्थान का दौरा कर सकती ह। यह कमेटी गहलोत-पायलट गुट के नेताओं से बातचीत करेगी और फिर सोनिया गांधी को रिपोर्ट देगी। माना जा रहा है कि कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। कमेटी की रिपोर्ट से ही यह तय होगा कि गहलोत मंत्रिमंडल में किस गुट के कितने मंत्री रहेंगे। संगठन में दोनों गुटों में से किसको कितने पद मिलेंगे। सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों पर भी फैसला कमेटी की सिफारिश के आधार पर ही होगा। इससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किल बढ़ सकती है। अब तक गहलोत को फ्री हैंड था, लेकिन अब सरकार और संगठन दोनों में गहलोत को पायलट की भागीदारी स्वीकार करनी पड़ सकती है।
पायलट अपने गुट से 5 मंत्री बनाने का दावा कर सकते हैं।
सचिन पायलट की मांग पर ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। गहलोत मंत्रिमंडल में फिहहाल 8 मंत्री पद खाली हैं। पायलट इनमें से पांच मंत्री अपने गुट के बनाने का दावा कर सकते हैं। दो पुराने हटाए गए मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को फिर से मंत्री बनाने की मांग और तीन नए मंत्री। इनमें दो कैबिनेट मंत्री पायलट गुट के हो सकते हैं। कमेटी के सामने पायलट अपने गुट से उप मुख्यमंत्री बनाने की भी मांग कर सकते हैं। इससे पहले पायलट खुद उप मुख्यमंत्री रहे हैं। इसी तरह संगठन में पायलट अपने गुट की बराबरी की भागीदारी की मांग कर सकते हैं।
दुनियाँ में कॉविड से भी भयंकर बीमारी का प्रकोप
मौजूदा हालात में पूरी दुनिया कॉविड के प्रकोप से ग्रसित है। यह महामारी लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चूका है। इस बीमारी के वजह से हर देश पर आर्थिक संकट से घिर चूका है और अब कही जा कर हालत थोड़े सामान्य होते हुए नज़र आ रहे थे परन्तु इसी बीमारी की वजह से दुनियाँ के सामने अभी बेरोजगारी की भयंकर बीमारी खरी हो गई है। बेरोजगारी से हर देश अभी जूझ रहा है। सभी उद्द्योग धंदे महामारी की वजह से ठप पर चुके है जिसके कारन बेरोजगारी दर में लगातार बढ़ोतरी हुए है। अगर यूँ कहें इस बीमारी से भी भयंकर बीमारी करि हो चुकी है। जिस पे अगर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका दुनिया को भरी कीमत चुकाना पड़ सकता है।
दुनियाँ पहले से कोविड के प्रकोप से गुजर रहा था। परन्तु इस महामारी से भयंकर महामारी बढती बेरोजगारी है जिससे भारत ही नाही पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है। ताज़ा सर्वे के मुताबिक सिर्फ भारत में बेरोज़गारी दर 27.11% के उच्तम दर पर पहुंच गइ है।
बेरोजगारी बढ़ने की मुख्य वजह
बेरोजगारी बढ़ने कि मुख्य वजह कोविड संक्रमण था जिसकी वजह से भारत में 54 दिनों तक लगभग सभी उद्योग धंदे बंद रहे। और जब लोक डॉन खुला तो सभी उद्योग ठप पड़ चुके थे बैंकों के लोन से दब चुका था। ऐसे में कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी। जहां 10 कर्मचारियों की जरूरत थी। वहां केवल दो से काम चलाना शुरु कर दिया। बड़ी-बड़ी कंपनियों को देखकर छोटे व्यापारियों ने भी अपने कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया। कुछ कंपनियों ने कानूनी तरीके से कर्मचारियों को निकाला तो कुछ कंपनियों ने कानूनी प्रक्रिया को भी अनदेखा कर दिया। परिणाम स्वरूप देश में बेरोजगारी काम पर लग गया। अगर छंटनी की बजाए व्यापारियों और कर्मचारियों मैं अगर आपसी तालमेल हो जाता तो शायद इसकी जरूरत ही ना पड़ती। जैसे कि जब तक कंपनी आर्थिक तंगी में थी तो उन्हें कंपनी की स्थिति को समझ कर अपने वेतन में खुद ब खुद कटौती करवाना चाहिए था या तो कार्य करने का समय बड़ा लेना था। जिससे कि कंपनी की उत्पादन बढ़ जाती और लॉकडाउन मैं हुए घाटे से उबर पाती। और कर्मचारियों की भी नौकरी सुरक्षित रहती। मौजूदा समय में सभी श्रम न्यायालयों में ऐसे अनगिनत केस है जिनमें कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को गैर कानूनी ढंग से छटनी किया है। परंतु ज्यादा संख्या होने की वजह से और न्यायालय सुचारू रूप से ना चल पाने की वजह से ऐसे मुकदमे अटके पड़े हैं।
किन उद्योगों पर पड़ा है सबसे ज्यादा असर
वैसे तो कोविड-19 की वजह से आर्थिक मंदी का असर सभी उद्योगों पर पड़ा है जैसे कि एयरलाइंस, होटल, रेस्तरां, सिनेमा, फिल्म मॉल, आयात निर्यात कंपनी, ट्रांसपोर्ट आदि। परंतु इसका सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारियों को हुआ है जो 10 से 15 कर्मचारियों के साथ अपना एवं कर्मचारियों का जीवन यापन कर रही थी। अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जो महामारी की वजह से बंद पड़े हैं। जिसका खामियाजा वहां पर कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है और अपनी नौकरी तक जवानी पड़ रही है। सरकार को चाहिए कि जहां तक हो सके इन उद्योगों को वापस शुरू किया जाए। और इन्हें पुनर्जीवित करने में सहयोग करना चाहिए ताकि वहां फिर से कर्मचारियों की वापसी हो और हालात धीरे धीरे सामान्य हो जाए।
कैसे निपटें हालात से
हालांकि सरकार द्वारा महामारी की वजह से छोटे और बड़े उद्योगपतियों के लिए कई राहत पैकेज की घोषणाएं हुई है कई स्क्रीम की शुरुआत हुई है। परंतु इसका सकारात्मक असर नहीं दिख रहा है। यही वजह है की बेरोजगारी का ग्राफ दिन-ब-दिन ऊपर चढ रहा है। इस समय सरकार स्वयं का कार्य शुरू करने पर बल दे रहे हैं। परंतु हर व्यक्ति तो स्वयं का व्यापार नहीं कर सकता तो इसलिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। और जो कंपनियां अपने कर्मचारियों को निकाल रही है उन पर श्रम मंत्रालय को सख्त होने की भी आवश्यकता है। अन्यथा बेरोजगारी की वजह से कई दूसरे समस्याएं धीरे धीरे उत्पन्न होने लगेगी। क्योंकि अगर देश के युवा के पास रोजगार नहीं होगा तो, या तो वह जूर्मकी राह पकड़ लेगा या फिर आत्महत्या कर लेगा। इसलिए सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता सकता है।
क्या करना चाहिए युवाओं को
इस गंभीर समस्या में अपने आप को कमजोर ना होने दें और स्थिति का डटकर सामना करें। स्थिति से घबराकर किसी तरह का गलत फैसला आपकी पूरी जिंदगी तबाह कर सकता है। इस समस्या को समस्या नहीं चुनौती समझ कर स्वीकार करें। अगर यूं कहें तो यह एक अवसर भी हो सकता है अपने व्यवसाय को बदलने का। आप नौकरी अगर ढूंढ रहे हैं तो अच्छी बात है परंतु हो सके तो यह सबसे सही अवसर है जब आप अपना व्यवसाय बदल सकते हैं जो आपने पहले सोचा हुआ हो।
हम हैं आपके साथ
मौजूदा परिस्थिति को हम बदल तो नहीं सकते परंतु हमने आगाज किया है युवाओं को जहां तक हो सके रोजगार दिलवाने का। क्योंकि ऐसी महामारी में भी ऐसी बहुत सी कंसलटेंसी है जो युवाओं को रोजगार देने के नाम पर ठगी कर रही है। कभी भी नौकरी के लिए किसी को भी ऐसे ना दें क्योंकि अधिकतर मामलों में इस तरह से ठगी की जा रही है। हमारी वेबसाइट पर विभिन्न स्रोतों द्वारा नौकरियां उपलब्ध कराई जा रही है और यदि इनमें से आपके मुताबिक कोई नौकरी नहीं मिलती है तो आप हमें ईमेल कर अपना रिज्यूमे हमें भेजें। हमारा E-Mail ID है yournewstvindia@gmail.com हमें जैसे ही आप के अनुरूप कोई नौकरी मिलती है तो हम आपको सूचित करेंगे। यह सेवा बिल्कुल निशुल्क है और इसके लिए किसी तरह का कोई फीस नहीं लिया जाता।
मौजूदा उपलब्ध नौकरीयों के लिए यहाँ क्लिक करें
दिल्ली रोजगार बाजार में यहाँ से आवेदन करें
हम आशा करते हैं कि आप पोस्ट आपको पसंद आई होगी पोस्ट से जुड़े किसी अन्य जानकारी/सुझाव के लिए कमेंट करें।
खुशखबरी ! अब पाए अपना मनपसंद जॉब , दिल्ली सरकार के 'रोजगार बाजार' पोर्टल पर तुरंत अप्लाई करें
खुशखबरी ! अब पाए अपना मनपसंद जॉब , दिल्ली सरकार के 'रोजगार बाजार' पोर्टल पर
- मुझे नौकरी चाहिए
- मुझे स्टाफ चाहिए
लगातार लगातार बिजली कटौती से फरीदाबाद की जनता परेशान
आज के समय में देश के कई राज्यों में 24 घंटे बिजली की सुविधा उपलब्ध है वहीं हरियाणा के फरीदाबाद में दिन में 4 से 5 घंटे से भी अधिक प्रतिदिन बिजली कटौती की जा रही है और कई बार पूरी पूरी रात बिजली से आमना-सामना नहीं हो पाता है।
सुशांत सिंह राजपूत के केस की खुल रही परत दर परत
सुशांत सिंह राजपूत का केस काफी समय से सुर्खियों में रहा है इसी वजह से मुंबई पुलिस द्वारा केस के खोजबीन में जुटी थी। वही सुशांत सिंह के पिता के हस्तक्षेप के बाद बिहार पुलिस भी जोरो शोरों से केस जुड़े गुत्थियों को सुलझाने में लगी है। sushant singh rajput news
सारी मनोकामनाएं होंगी पूरी उच्चैठ दुर्गास्थान में
उच्चैठ दुर्गास्थान बिहार के मधुबनी जिले में बेनीपट्टी के पास है। वैसे तो यहां हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है परंतु नवरात्रि के समय यहां काफी ज्यादा भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है जो कि देखते ही बनती है। मंदिर के नजदीक विश्व प्रसिद्ध विद्वान कालिदास पीठ स्थित है। जहां पर कालिदास विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया है। इस स्थान पर अष्टावक्र जैसे कई अन्य ऋषि मुनियों का भी आगमन हुआ है।
इसके बाद कालिदास काशी से भटकते हुए उच्चैठ आ गए। जीवन यापन के लिए और पेट भरने के लिए उन्होंने दुर्गा स्थान के नजदीक एक विश्वविद्यालय में रसोइए की नौकरी पकड़ ली। काफी समय बीत आ गया और कालिदास वही विश्वविद्यालय में रसोई का काम करते रहे। उस समय भयंकर बाढ़ आया। अभी भी या जगह बाढ़ पीड़ित है यहां ग्रामीणों को हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है। उस समय जब भयंकर बाढ़ आया तो। लगभग वहां का सारा इलाका जलामय हो चुका था। सभी छात्र और शिक्षक वही विश्वविद्यालय में सुरक्षित थे। क्योंकि वह एकमात्र स्थान यह सुरक्षित रह गया था या दूसरा छिन्मस्तिका का मंदिर। बाढ़ का कारण विश्वविद्यालय और मंदिर के बीच थुमानी धार थी जोकि उफान पर था। किसी तरह दिन बीता जब शाम हुई तो शिक्षकों और छात्रों में बहस शुरू हुई। ऐसे समय में मंदिर में माता की संध्या आरती कौन करने जाएगा। बहस काफी समय तक चला परंतु निर्णायक साबित नहीं हो पाया। कोई भी छात्र या शिक्षक अपने जीवन को संकट में नहीं डालना चाहता था। अंत में सबक नजर कालिदास पर पड़ी। उन्होंने सोचा क्यों ना इसी मूर्ख को माता की मंदिर में संध्या आरती के लिए भेजें। अगर किसी दुर्घटना से इसे कुछ हो भी जाएगा तो संसार से एक मूर्ख कम हो जाएगा। ऐसा विचार विमर्श करके कालिदास को बुलाया गया और उन्हें वहां जाने के लिए कहा गया। उस समय कालिदास जो कि बिल्कुल अज्ञान थे उन्होंने तुरंत हामी भर दी। सब ने पूछा तुम जाओगे तो हमें कैसे पता चलेगा कि तुमने माता की संध्या आरती कर दी है। तो कालिदास ने कहा मैं अपने हाथों में यह कालिख (राख) लगा लेता हूं और वही कहीं पर निशान लगा दूंगा इस प्रमाण के लिए कि मैं वहां गया था। ऐसा कह कर कालिदास ने अपने हाथों में चूल्हे से निकालकर कालिख अपने हाथों में लगा लिया। और पानी में तैरते हुए किसी तरह मंदिर पहुंच गए। क्योंकि उन्हें ज्ञान नहीं था की संध्या आरती कैसे होती है परंतु उन्हें जैसा आया उन्होंने कर दिया। अंत में उन्हें ध्यान आया कि यह का लेख मैं कहां लगाऊं कि लोगों को पता चले कि मैं यहां आया था। इधर-उधर देखने के बाद उन्होंने सोचा अगर मैं मंदिर के बाहर कहीं यह निशान लगा था वह तो पानी से धुल जाएगा। और लोग फिर मेरी बात का विश्वास नहीं करेंगे।
आखिरकार कालिदास ने निर्णय किया की क्यों ना इस कालिक को मूर्ति पर ही लगा दी जाए। क्योंकि उस समय वहां पानी का पहुंचना दुर्लभ था। ऐसा सोच कर कालिदास ने अपने हाथों पर लगी कालीख को छिन्मस्तिका माता के मुंह पर लगाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाए। माता तुरंत प्रकट हुई और उन्होंने कालिदास का हाथ पकड़ लिया और कहां "मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हुई मांग क्या वर मांगना चाहता है" कालिदास ने तुरंत मां के पैर पकड़ लिए और कहा आपको तो सब पता है मेरी यह दुर्दशा मेरी मूर्खता के कारण ही है। उस समय माता ने कालिदास से कहा आज रात तुम जितनी किताबों के पन्ने पलट दोगे तुम्हें इतना ज्ञान मिल जाएगा ऐसा कह कर मां अंतर्ध्यान हो गई। कालिदास वापस किसी तरह विश्व विद्यालय पहुंचा। उसे देख कर वहां मौजूद सबको अचरज हुआ। रात के वक्त कालिदास विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में जाकर बैठ गए। सारी रात वहां मौजूद सभी पुस्तकों के पन्ने पलट डालें। सुबह हुई विश्वविद्यालय का समय शुरू हुआ सभी छात्र अपने कक्ष में अध्ययन करने लगे। उस दिन कालिदास जिस कक्षा से निकलते वहां छात्रों के त्रुटियों पर हंसने लगते। यह देख सब ने सोचा, लगता है कल की घटना के बाद कालिदास पागल हो गया है। शाम को विश्वविद्यालय के प्रधानाध्यपक ने कालिदास को बुलाया और उनसे इसका कारण पूछा। कालिदास ने एक-एक करके सभी छात्रों के नाम लिए उनके त्रुटियों को बताया। यह सुनकर प्रधानाध्यापक को बड़ा आश्चर्य हुआ उन्होंने एक एक कर कई प्रश्न किए परंतु कालिदास ने सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए। अंत में कालिदास ने एक प्रश्न प्रधानाध्यपक से भी पूछ लिया जिसका जवाब उनके पास नहीं था। उन्होंने कालिदास के पैर पकड़ लिया। क्योंकि उनको ज्ञात हो गया था की यह कोई आम इंसान नहीं है यह कोई महान विद्वान है। इस उपरांत वहां उन्होंने अपने कई पुस्तकों का सफल संपादन किया। और एक समय आया जब विश्व में उनकी ख्याति बन गई। आज कुछ विश्वविद्यालय का नाम कालिदास विश्वविद्यालय है।
यह ऐतिहासिक स्थल अब तक है गुमनाम
यह के प्राचीन मंदिर बिहार प्रशासन के द्वारा अब तक गुमनाम है यहां तक की बिहार पर्यटन विभाग द्वारा भी इस जगह के लिए किसी तरह का कोई कार्य नहीं हुआ है। हालांकि कालिदास पीठ पर निर्माण कार्य पिछले कुछ सालों से चल कर रहा है। परंतु हालत ज्यों की त्यों हैं।
कौन है ये देविका रोटवान ?
देविका रोटवान की कहानी काफी रोचक और सराहनीय है। हो सकता है यह नाम अपने इससे पहले शायद ही सुना हो। परन्तु देविका रोटवान असल जिंदगी की नायिका है जिन्हे शायद ही कोइ जनता होगा।कोन है देविका रोटवान ?
देविका रोटवांन वही लड़की है जिसकी गवाही पे कसाब को फांसी हुई थी .....
आपको बता दें कि
देविका मुंबई हमलों के दौरान महज 9 साल की थी ..
उसने अपनी आँखों से कसाब को गोली चलाते देखा था ..
लेकिन जब उसे सरकारी गवाह बनाया गया ..
तो उसे पाकिस्तान से धमकी भरे फोन कॉल आने लगे .....
देविका की जगह अगर कोई और होता तो वो गवाही नहीं देता ..
लेकिन इस बहादुर लड़की ने ना सिर्फ कसाब के खिलाफ गवाही दी ...
बल्कि सीना तान के बिना किसी सुरक्षा के मुंबई हमले के बाद भी 5 साल तक अपनी उसी झुग्गी झोपडी में रही ...
लेकिन इस देश भक्ति के बदले उसे क्या मिला ??....
आपको बता दें
कि देविका रोटवान जब सरकारी गवाह बनने को राजी हो गयी ...
तो उसके बाद उसे उसके स्कूल से निकाल दिया गया ..
क्यों की स्कूल प्रशाशन का कहना था
कि आपकी लड़की को आतंकियों से धमकी मिलती है ..
जिससे हमारे दुसरे स्टूडेंट्स को भी जान का खतरा पैदा हो सकता है ....
देविका के रिश्तेदारों ने उससे दूरी बना ली ...
क्यों की उन्हें पाकिस्तानी आतंकियों से डर लगता था जो लगातर देविका को धमकी देते थे ....
देविका को सरकारी सम्मान जरुर मिला ..उसे हर उस समारोह में बुलाया जाता था
जहाँ मुंबई हमले के वीरों और शहीदों को सम्मानित किया जाता था ..
लेकिन देविका बताती है
कि सम्मान से पेट नहीं भरता ...
मकान मालिक उन्हें तंग करता है
उसे लगता है .. कि सरकार ने देविका के परिवार को सम्मान के तौर पे करोडो रूपये दिए हैं ..
जबकि असलियत ये हैं की
देविका को अपनी देशभक्ति की बहुत भरी कीमत चुकानी पड़ी है ...
देविका का परिवार देविका का नाम अपने घर में होने वाली किसी शादी के कार्ड पे नहीं लिखवाता ..
क्यों की उन्हें डर है की इससे वर पक्ष शादी उनके घर में नहीं करेगा ..
क्यों की देविका आतंकियों के निशाने पे है ......
देविका के परिबार ने अपनी आर्थिक तंगी की बात कई बार राज्य सरकार और PMO तक भी पहुचाई ..
लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात निकला ...
देविका की माँ 2006 में ही गुजर गयी है ...
देविका के घर में आप जायेंगे तो उसके साथ कई नेताओं ने फोटो खिचवाई है .
कई मैडल रखे हैं ..
लेकिन इन सब से पेट नहीं चलता ...
देविका बताती है कि
उसके रिश्तेदारों को लगता है की हमें सरकार से करोडो रूपये इनाम मिले है ..
लेकिन असल स्थिति ये हैं कि
दो रोटी भी उनके परिवार पर महंगी है .....
आतंकियों से दुश्मनी के नाम पर
देविका के परिवार से उसके आस पास के लोग और उसकी कई दोस्तों ने उससे दूरी बना ली ..
कि कहीं आतंकी देविका के साथ साथ उन्हें भी ना मार डाले ........
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और डीएम ऑफिस के कई चक्कर लगाने के बाद
उधर से जवाब मिला की हमारे जिम्मे एक ही काम नहीं है ......
देविका के पिता बताते हैं ..
कि
उन्होंने अधिकारीयों से कहा की CM साहब ने मदद करने की बात कही थी .....
सरकारी बाबू का कहना है की रिटेन में लिखवा के लाइए ........
तब आगे कार्यवाही के लिए भेजा जाएगा ..........
अब आप बताइये की
क्या ऐसे देश ..ऐसे समाज ..और ऐसी ही भ्रष्ट सरकारी मशीनरी के लिए देविका ने पैर में गोली खायी थी ...??
उसे क्या जरूरत थी सरकारी गवाह बनने की ??
उसे स्कूल से निकाल दिया गया ?? क्यों की उसने एक आतंकी के खिलाफ गवाही दी थी .....
आप बताइये अगर देशभक्ति कीमत ऐसे ही चुकाई जाती है
तो मै यही कहूँगा कि
ऐसे खुद गरज समाज .. सरकार ....और नेताओं के लिए अपनी जान दाव पे लगाने की कोई जरूरत नहीं है ..
देविका तुमने बिना मतलब ही अपनी जिन्दगी नरक बना ली ......
सलमान खान एक देशद्रोही संजय दत्त ..और अब एक वैश्या सन्नी लियोन के ऊपर बायोपिक बनाने वाला
बॉलीवुड तो देविका के मामले में हरामखोर निकला ...
आपको बता दें कि
देविका का interview लेने के लिए बॉलीवुड निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने देविका को अपने घर बुलाया ...
लेकिन उसे आर्थिक मदद देना तो दूर उसे ऑटो के किराए के पैसे तक नहीं दिए ....
ऐसा संवेदन हीन है अपना समाज ...
हैरान हूँ मैं ऐसे समाज पे ....
शायद कितनों को तो देविका के बारे पता भी नहीं होगा
कि देविका रोटवान कौन है ........
लानत है ऐसी व्यवस्था पर
इस पोस्ट से सम्बंधित किसी अन्य जानकारी के लिए हमें yournewstvindia@gmail.com लिखें अथवा कमेंट बॉक्स में कमेंट करें।
5 अगस्त को होगा भगवान श्रीराम के मंदिर का भूमिपूजन
घर घर दीप जलाएंगे रामलला के शिलान्यास की खुशी में।
देश कर रहा था लंबे समय से इस पल का इंतजार
सदकों से चली आ रही विवाद आखिरकार खत्म हुआ। देश काफी लंबे समय से जिसके इंतजार में था वह रामलला के शिलान्यास के बाद 5 अगस्त को पूरा हो जाएगा। इसके लिए पूरे अयोध्या में जमकर तैयारियां की जा रही है। लोगो की उत्सुकता को देखते हुए हो सकता है इस जशन को दिवाली की तरह मनाया जाये।
क्यों खास है मंदिर का शिलान्यास
श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत 5 अगस्त को होगी। इसको लेकर देश में उत्साह का माहौल बना हुआ है। अयोध्या मंदिर का शिलान्यास इसलिए भी खास है क्योंकि मुख्य अतिथि के लिए प्राधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रित किया गया है एवं शिलान्यास उनके द्वारा ही किया जायेगा। साथ ही साथ उत्तर प्रदेश सरकार के साथ अन्य राज्यों से भी इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सिरकत कर सकते हैं।
क्या है सुरक्षा के इंतजाम
भगवान श्री रामलला के शिलान्यास के लिए अयोध्या में सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किये गए हैं। किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा कर्मी पूरी तरह आश्वश्त हैं। सुरक्षा दृस्टि की वजह से कार्यक्रम में 5 अगस्त को भक्तों को अनुमति नहीं होगी। एवं इस दिन अयोध्या में धारा 144 भी लागु किया जाएगा। मोके का जायजा स्वयं मुखयमंत्रि योगी आदित्यनाथ समेत गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लिया जा रहा है।
अयोध्या में आखिरकार सर्वोच्च न्यायलय द्वारा राम मंदिर के पक्ष में फैसला आ गया है। इसके बाद भारतवासियों की नज़र टीकी थी निर्माणकार्य पर। और आखिरकार समय नज़दीक आ चूका है जिस दिन रामलला अपने सिंघासन पर फिर विराजमान होंगे।
इस पोस्ट से सम्बंधित किसी अन्य जानकारी के लिए कमेंट करें।